मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो गा...छत्तीसगढ़ी गीत
माहेश्वरी वासनिक ग्राम सहवाड़ा,तहसील चारमा,जिला कांकेर, छत्तीसगढ़ से एक छत्तीसगढ़ी गीत गा रही हैं
मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो गा
ए गिरे परे हप्ते मन अउ परे डरे मनखे मन
मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो रे,
मैं लहेरी अब मोर लहर माँ फला फूलो हरियालो,
महानदी और अरपा पैरी तन,मन ला करियालो।
कहाँ जाओं बड़ी दूर है गंगा,साथी यहाँ तरो रे,
मोर संग चलो रे, मोरे संग चलो रे
बिपत के संग जुझेबर संगी ताना ला बांधे हन,
सरगला पृथिबी हाँ प्राण ऐसे ठाने हन।
मोर सुमत के सरग नसेनी जुर मिल सभी चढ़ौ रे
मोर संग चलो रे,मोरे संग चलो रे...