जीवन में कुछ पाना है तो मन को मारे मत बैठो...संघर्ष गीत
जीवन में कुछ पाना है तो मन को मारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो
चलने वाला मंजिल पाता बैठा चुप क्यों रहता है
ठहरा पानी सड़ने लगता बहता निर्मल होता है
जीवन में कुछ पाना है तो मन को मारे मत बैठो
आगे आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो
पाँव मिले चलने की खातिर पाँव पसारे मत बैठो
आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो
तेज दौड़ने वाला खरहा दो पग चलकर हार गया
धीरे-धीरे चलकर कछुआ देखो बाजी मार गया
धरती चलती, तारे चलते , चाँद रातभर चलता है
किरणों का उपहार बांटने सूरज रोज निकलता है
जीवन में कुछ पाना है तो मन को मारे मत बैठो
आगे आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो