स्वाधीनता के दीवानों की दीवानगी का आलम ही निराला था
स्वाधीनता के दीवानों की दीवानगी का आलम ही निराला था
गले में फांसी का फंदा लाखों फंदों पर सवारी थी
आज उनकी शहादत पर उठा कर दोनों हाथों से खुदा से इबादत करते हैं
हमारे भी हालत हो ऐसा पैदा हाल
वतन पर कुर्बान हों बन जाएं बेमिसाल
एक ललक हो सीने में वतन पर मिट जाने की
बापू को भी कर रहे हैं एहतराम
जात पात को भुलाकर बन जाए सिर्फ इंसान