कलियुग बैठा मार कुडंली में जाऊं तो कहाँ जाऊं...
ग्राम- दुर्गापुर, जिला- झांसी से बंटी प्रसाद जी एक भजन गा रहे हैं-
कलियुग बैठा मार कुडंली में जाऊं तो कहाँ जाऊं
अब हर घर में रावण बैठा इतने राम कहाँ से लाऊं ।
दशरथ कौशिल्या जैसे मात -पिता अब भी मिल जाएं
पर राम सा पुत्र मिले ना जो आज्ञा ले बन जाए
भरत, लखन से भाई को मैं ढूढ़ कहाँ से अब लाऊं ।
जिसे समझते हो अपना तुम, जड़ें खोदता आज वही
रामयण कि बातें जैसे लगती हैं सपना कोई ।
तब थी दासी एक मंथरा आज वही घर-घर पाऊँ