बिना पहिरे चुनरिया ना माने मोरा जिया...बघेलखंडी लोकगीत
बिना पहिरे चुनरिया ना माने मोरा जिया
चुनरी मंगाई दो लंहगा मंगाई दो
अब चुनरी माँ गोट लगा दो पिया
महला बनवा दो अटारी बनवा दो
एक छोटा सा खिरकी लगवा दो पिया
बिना झांके न माने मोरा जिया
बागा लगा दो बगीचा लगा दो
एक छोटा सा निम्बुला लगवा दो पिया
बिना तोड़े न माने मोरा जिया
बिना पहिने चुनरी न माने मोरा जिया
जेठ बोलाय दो जेठानी बोलाय दो
एक छोटा सा देवर बोलवा दो पिया
बिना बोली करे न मने मोरा जिया