मैं एक औरत हूँ, मुझे भी आज़ाद होकर चिड़ियों की तरह उड़ना पसंद है...
मैं एक औरत हूँ
मुझे भी आज़ाद होकर चिड़ियों की तरह उड़ना पसंद है
आज मैं परेशान हूँ ,
रस्ते में चलते वक़्त , काम पे जाते वक़्त
मुझे दर का आभास होता है
मैं एक इंसान हूँ
मुझे भी रात की ठंडी हवाओं में रास्ते पर घूमना अच्छा लगता है
पर मैं डरती हूँ
रात में निकलने से।
मैं एक औरत ,एक इंसान हूँ
मुझे भी दोस्त बनाना अच्छा लगता है पर मैं डरती हूँ दोस्त बनाने से
मैं सोचती हूँ , क्यों डरूं ?
वो भी सिर्फ इसलिए की मैं एक औरत हूँ ?
नहीं अब नहीं, नहीं डरूंगी अब मैं
क्योंकि मैं एक औरत, एक लड़की हूँ
मैं निकलूंगी सड़क पर
मैं बनाउंगी दोस्त
खुद पर एक विश्वास रखकर
क्योंकि मैं जानती हूँ मैं बदल रही हूँ अपने आपको
पर तुम नहीं
मैं लडूंगी उनके खिलाफ जो मुझे
डरने पर मजबूर करते हैं