एक तरफ से सजी धजी है एक तरफ से नंगी है, दुनिया बड़ी बेढंगी है...
एक तरफ से सजी धजी है एक तरफ से नंगी है..
दुनिया बड़ी बेढंगी है .....
दुनिया बहुत बढ़ी है आगे , चकाचौंध के मेले लागे ,
काहू के घर दूध मलाई ,काहू के घर तंगी है …
दुनिया बड़ी बेढंगी है .....
चली योजना कई लाखों की , हुई घोषणा कई बातों की ,
बैठ के पद पर करत नीचता , शरम लागे ना भीख मंगी है …
दुनिया बड़ी बेढंगी है ....
कोठी बंगला बैंक में खाते , बने विदेश से रिश्ते नाते ,
कहें गर्व से हम हैं भारती , जब जनता के घर तंगी है …
दुनिया बड़ी बेढंगी है .....
घर घर गाँव गाँव में नारा ऊँचा झंडा रहे हमारा ,
कहे पार्वती भई भारत में चारों तरफ हुडदंगी है …