उठ जाग मेरी बहना, चल साथ मेरी बहना
उठ जाग मेरी बहना, चल साथ मेरी बहना
तू मान मेरा कहना, ये ज़ुल्म नहीं सहना x 3
सौहर का कहा मानो, ससुर की बात मानो
परिवार की भलाई को खुद के सर पे ले लो
फिर भी कोई इज़्ज़त न तेरी कोई कीमत
बस चुप ही चुप रहे तू, अपमान क्यों सहे तू x 3
सुबह सबसे पहले उठना, फिर झाडू पोंछा करना
फिर पानी भर के लाना, और चूल्हा भी जलाना
फिर चाय गरम बनाओ, श्रीमान को जगाओ
बाल बच्चों को सम्हलो और खाना भी पकाओ x3
गर नौकरी है करनी और पैसा भी कमाना
आदमी से कम तरक्की आदमी से कम मज़दूरी
तू घर की नौकरानी, ये तेरी ज़िंदगानी
ये ड्यूटी सोलह घण्टा, न उसकी कोई तनखा x3
औरत जो अब जगेगी, न मर्दों से डरेगी
न सत्ता से दबेगी, ज़ुल्म से लडेगी
मेहनतकशो से मिलकर दुनिया को बदल देगी
स्त्री मुक्ति की निशानी वो हाथों में थामेगी x3