सावन में तुम तो आए साजन, पर सावन में आया नहीं सावन...
सावन में
सावन में तुम तो आए साजन
पर सावन में आया नहीं सावन
लुभावन सावन
मनभावन सावन
फूलों से गायब है सावन
बागों से गायब है सावन
खेतों से गायब है सावन
बिन सावन कैसे गाएं कजरी साजन
किसने चुराया ये सावन
कहां छुपाया ये सावन
जाओ जाओ मेरे साजन
ढूंढ के लाओ ये सावन
छीन के लाओ ये सावन
प्रेमप्रकाश रामुल की कविता