यह लघु सरिता का बहता जल...कविता
ग्राम-मवई, पोस्ट-अलहिया, जिला-बाँदा (उत्तरप्रदेश) से सुरेन्द्र पाल एक
कविता सुना रहे है:
यह लघु सरिता का बहता जल-
कितना शीतल‚ कितना निर्मल-
हिमगिरि के हिम निकल–निकल-
यह विमल दूध–सा हिम का जल-
कर–कर निनाद कलकल छलछल-
बहता आता नीचे पल–पल-
तन का चंचल‚ मन का विह्वल-
यह लघु सरिता का बहता जल...