सूरज रे जलते रहना सूरज रे जलते रहना...गीत-
वीरेंद्र गंधर्व, राजनदगांव (छत्तीसगढ़) से एक गीत सुना रहे हैं:
जगत भर की रोशनी के लिए, करोड़ों की जिंदगी के लिए-
सूरज रे जलते रहना ,सूरज रे जलते रहना-
जगत के कल्याण के लिए तू जन्मा है,जगत के वास्ते हर दुख उठा रे-
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाए,तू जल-जल कर यहाँ किरने लुटाता रहे-
यही लिखा है तेरे भाग में, तेरा जीवन रहे आग में-
सूरज रे जलते रहना ,सूरज रे जलते रहना...