कैसे इंद्रावती नदी हुई मिचनार से दूर, क्यूँ पड़ा पहाड़ का नाम मगर पकना, जानिए लोक कथाओं से...
महादेव कश्यप पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आकर्षण केंद्र बने रहने वाले मिचनार के प्रसिद्ध मंदिर के पुजारी हैं जो कि ग्राम पंचायत- मिचनार नं. 1, ब्लॉक- लोहांडीगुड़ा, जिला- बस्तर, छत्तीसगढ़ में रहते हैं। वे मिचनार के मगर पकना पहाड़ और इंद्रावती नदी से जुड़ी लोक कथा बता रहे हैं। राजा राहूण, जिनको आदिवासी देवों के राजा मानते हैं, की सभा पहाड़ पे लगती थी। मान्यता है कि जब कालाहांडी से इंद्रावती नदी का उद्गम हुआ, तो एक दैवीय मगर नदी को मिचनार के तरफ दिशा दे रहा था। राजा राहूण की सभा ने यह निर्णय किया की नदी को वहाँ आने से रोकना होगा ताकि तहस नहस होने से बचाया जा सके। राजा राहूण के निर्देश पे उनके सिपाही ने उस दैवीय मगर का वध कर के नदी का रुख मोड़ दिया। इसी कारण आज इंद्रावती नदी मिचनार से ना हो के चित्रकोट से बहती है। और भी कई रोचक कथाएँ सुना रहे हैं महादेव जी...