जो खुद ही खुद पर भारी है उसे क्या मारे महामारी है...पंक्तियाँ
जिला-राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से बिरेन्द्र गंधर्व कुछ पंक्तियाँ सुना रहे हैं:
खुद ही खुद पर भारी बन-
चाकू छूरी कटारी बन-
खुद ही खुद पर भारी बन-
जो खुद ही खुद पर भारी है-
उसे क्या मारे महामारी है-
रखो भरोसा सदा सलोना-
एक दिन जायेगा करोना...(AR)