लोहातर सोनादाई कंडरा राजा की कहानी...

ग्राम-बांगाचार, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से वेदबती छुरपाल अपने गाँव कि लोहातर सोनादाई के बारे में बता रही है, उनके गाँव में पूर्वजों के समय एक राजा कंडरा रहता था, राजा के पास घुडसवार, गाय, बकरी चराने वाले सैनिक रहते थे| बकरी चराने वाला रोज बकरी चराकर लाता था, एक दिन बकरी चराने वाला जंगल गया| बकरी चराते-चराते थक गया और एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया| जिस पेड़ के नीचे वह बैठा था, वह सोने का पेड़ था| उसे पेड़ के पत्ते अच्छे लगे उसने सभी बकरियों के कान में पत्ते पहना दिए और शाम हो गयी, वो सभी बकरियों को राजा के पास ले गया और अपने घर चला गया| राजा ने देखा बकरियों के कान में पत्ते चमक रहे थे, राजा ने तुरंत बकरी चराने वाले को बुलावा भेजा| बकरी चराने वाला डरते हुए, राजा के पास आया| राजा ने पूछा कि आपने ये पत्ते बकरी के कान में क्यों पहनाये हैं| बकरी चराने वाला बोला राजा जी ये पत्ते मुझे अच्छे लगे तो मैंने पहना दिए, दुसरे दिन सुबह-सुबह घुडसवार तैयार किये और उस सोने के पेड़ की खोज में निकल गए| उस पेड़ तक पहुँचते पहुँचते शाम हो गयी और पेड़ जमीन के अंदर धसते गया, तो राजा ने उस पहाड़ को खोदने के बारे में सोचा और श्रमिक बुलाये पहाड़ को खोदना शुरू कर दिए| पहाड़ को खोदने पर पानी निकला, इताना पानी निकला की उस पहाड़ को जितने श्रमिक खोद रहे थे, सभी पानी में बह गए और साथ में राजा भी बह गया| बाहर रानी थी, वह भी बह गयी, सोने का पेड़ था| वो पेड़ अभी भी जीवित है, उस झरने में जब मछली या जीव जन्तु उस सोने से टकराते हैं तो सोना बहार आ जाता है और सोनझरिया लोग इसी सोना को खोजते हैं और बेचते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं|(RM)

Posted on: Feb 28, 2021. Tags: CG CULTRAL STORY KANKER VEDBATI CHURPAL

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