लकड़ी के मकानों में चिरागे न जलाना...गजल-
उत्तरप्रदेश से शिवकुमार एक गजल सुना रहे हैं:
गम देके रुलाते हो हंसाने नही आते-
ये लोग तो नये हैं-
पुराने नही आते-
लकड़ी के मकानों में चिरागे न जलाना-
लगी आग पडोसी भी बुझाने नही आते-
सूखा है पेंड राह का राही नही आते...(AR)