तुझमें मुझमें भेद नहीं ब्रम्हा सदा अवतार हूँ...कविता-
जिला-गोरखपुर उत्तरप्रदेश से मुन्ना मोर कविता सुना रहे है:
तुझ में मुझ भेद नहीं ब्रम्हा सदा अवतार हूँ-
संचालन मुझ से ही होता मै ही माया संसार हूँ-
उस हजार अमर अविनाशी खोता को बल से पहचान लिया-
कुछ देख स्वयं अभिलाषी से इच्छा व जीव को मांग लिया-
ब्रम्हांड में सारे जीवो को मै अलग अलग स्थान दिया-
नीच पाप सभी जीवो को मै बवर जाल में बांध दिया...