खड़ा हिमालय बता रहा है डरो न आंधी पानी में...कविता-
जिला-कोरबा (छत्तीसगढ़) से किशन नन्द विश्वकर्मा कविता सुना रहें हैं:
खड़ा हिमालय बता रहा है डरो न आंधी पानी में-
खड़े रहो अपने पथ पर सब कठिनाई तूफानी में-
डिगो न अपने प्रण से तो सब कुछ पा सकते हो प्यारे-
तुम भी ऊंचे हो सकते हो छू सकते नभ के तारे...