गज़ल : मेरा दर्द तुम ना समझ सके...
जिला-कुशीनगर (उतर प्रदेश) से सुकई कुसवाहा एक गजल सुना रहे हैं:
मेरा दर्द तुम ना समझ सके-
मुझे सख्त इसका मलाल है-
जरा फिर समझ के जवाब दो-
मेरी जिन्दगी का सवाल है-
मैं ये दिल के जख्मों को देखकर-
कभी हँसता हूँ कभी रोता हूँ-
मुझे दुश्मनों से गिला नहीं-
मेरे दोस्तों की ये चाल है-
जरा फिर समझ के जवाब दो-
मेरी जिन्दगी का सवाल है-
मेरा दर्द तुम ना... (AR)