कहानी: लाली मेरे लाल की- इरशाद खान सिकंदर...
नमस्कार दोस्तो, सहकार रेडियो पर हर रविवार को प्रसारित होने वाले कार्यक्रम “कहानियों का कारवां” में आज आप सुनेंगे इरशाद खान सिकंदर की कहानी “लाली मेरे लाल की”। कहानी एक युवा की है, जिसने धर्म की बंदिशें तोड़कर प्रेम किया| इस अंतरधार्मिक प्रेम कहानी के रास्ते में आने वाली मुश्किलों से जूझते हुए वो समाज की तमाम सड़-गल चुकी मान्यताओं/परम्पराओं और कूपमंडूकताओं पर सवाल खड़े करता है| कहानी हमने साभार ली है ब्लॉग samalochan.blogspot.com से| आवाज़ है मुंबई से रंगकर्मी साथी विनोद कुमार की। ध्वनि सम्पादन किया है साथी शिल्पी ने|