मध्य भारत की नई शांति प्रक्रिया में आपका स्वागत है...
इस सन्देश को हिंदी में सुनने के लिए 1 दबाइये, इसी सन्देश को गोंडी भाषा में सुनने के लिए 2 दबाइए और हल्बी में सुनने के लिए 3 दबाइए
आज से ठीक 40 साल पहले, 1980 के साल में, बारिश के बाद, लगभग इसी समय नक्सली आंदोलन के नेता, दण्डकारण्य के जंगलों में पहली बार आए थे | दण्डकारण्य का जंगल, जैसा आप जानते हैं आँध्रप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िशा और मध्यप्रदेश यानि इन 6 राज्यों में फैला हुआ है |
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 20 सालों में ही माओवादियों और पुलिस के बीच चल रही इस हिंसा में 12 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं इसमें 2700 पुलिसकर्मी थे और शेष 9300 आम नागरिक | गैर सरकारी अनुमान के अनुसार मृतकों की संख्या इससे काफी अधिक है क्योंकि जंगल के अंदर के इलाकों में हो रही हत्याओं की अक्सर रिपोर्टिंग नहीं होती
हम आपसे आपकी राय पूछना चाहते हैं कि लगातार 40 सालों से चल रही इस हिंसा से, जिससे आम नागरिक रोज़ाना परेशान हो रहे हैं और हज़ारों की संख्या में परिवार बर्बाद हो रहे हैं, उसे कैसे रोका जा सकता है?
यदि आप समझते हैं कि यह एक राजनैतिक समस्या है और इसका समाधान बातचीत करके निकालना चाहिए तो कृपया अपने फोन के की बोर्ड पर 1 दबाइए
यदि आपको लगता है कि इस समस्या को हिंसा यानि पुलिस और मिलिट्री की मदद से ही हल किया जाना चाहिए तो कृपया 2 दबाए
यदि आप इस समस्या को कैसे हल किया जाए इस पर अपनी बात विस्तार से रखना चाहते हैं तो कृपया 3 दबाकर अपना सन्देश रिकार्ड कीजिए | 3 दबाने के बाद बीप की ध्वनि के बाद बोलना शुरू कीजिए और आपको अपनी बात 3 मिनट में पूरी करनी है
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इस जनमत सर्वेक्षण का परिणाम हम आपको अगले 2 अक्टूबर को होने वाली नई शान्ति प्रक्रिया की चुप्पी तोड़ो ई रैली के दौरान बताएंगे | आपका अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद |