लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती...कविता-
प्राथमिक शाला पिरमेटा, ब्लाक-बास्तानार, जिला-बस्तर छत्तीसगढ़ से जोगेंद्र पोड़ियाम एक कविता सुना रहा है:
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती-
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती-
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है-
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है-
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है-
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है-
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती-
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती-
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है-
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है-
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में-
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में-
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती-
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती-
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो-
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो...