हम तो रोज नहाते हैं, मैल को दूर भगाते हैं... बाल कविता-
ग्राम-नवलपुर, ब्लाक-लोरमी, जिला-मुंगेली (छत्तीसगढ़) से उषा गोस्वामी एक कविता सुना रही हैं:
हम तो रोज नहाते हैं, मैल को दूर भगाते हैं-
मंजन करते कुल्ला करते, मुह की गंध भगाते हैं-
नख कटवाते नाक सुड़कते सिर में तेल लगाते हैं-
कंघी करते तेल लगाते बालो को चमकाते हैं-
कपड़े साफ पहनकर हम आंगनबाड़ी जाते हैं-
चावल दाल खाते हैं, हम मोटे बन जाते हैं...(AR)