मजदूरों को इतना कमजोर मत समझो...कविता-
रायपुर (छत्तीसगढ़) से भागीरथी वर्मा लॉकडाउन और मजदूरों पर एक कविता सुना रहा हैं :
मजदूरों को इतना कमजोर मत समझो-
लोहे को एक पल में पानी बना देते है ओ-
उसके रोजी से अगर तुम खिलवाड़ करते हो-
भूखे मरने से पहले तुमको मार देंगे ओ-
लॉक डाउन तो कर दिए है रासन नहीं दिए है-
लॉक डाउन का सामना कब तक करेंगे ओ-
मेरा मनो तो तुम मजदूरो का रोजी मत रोकना-
भूखे भेडियो के जैसा तुम्हे नोच खायेंगे ओ-
कितने प्रथा आए है कितनो चले गए है-
अकबर बाबर खिलज हुमाऊ ब्रिकिश अंग्रेज भी दफा हुए है-
कुंजी बाद का खात्मा अब कर के रहेंगे ओ-
मजदूरो को तुम इतना कमजोर मत समझो-
लोहे को पल में पानी बना देते है ओ...