टूट जाती है चट्टान हाँथोड़े की मार से...कविता-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक कविता सुना रहे हैं :
टूट जाती है चट्टान हाँथोड़े की मार से-
कट जाती है वृक्ष कुल्हाड़ी की वार से-
जम जाती हैं नदियाँ पानी की धार से-
झुक जाती हैं डालियाँ कोड़ो की भार से-
मिट जाती है तन महामारी बीमार से...(AR)