नृत्य संगीत के माध्यम से आदिवासी अपनी परंपरा को बचाये हुये हैं...
ग्राम-ताराडांड, जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से संत कुमार धुर्वे बता रहे हैं वे गीत संगीत के माध्यम से कार्यक्रम करते हैं, वे अपने टीम के साथ जगह – जगह जाकर अपने पारंपरिक गीत नृत्य जैसे सैला, ददरिया, कर्मा, सुवा अदि को दिखाते हैं, इस तरह से वे अपनी गीत संस्कृत को बचाये रखने योगदान दे रहे हैं, वे संदेश दे रहे हैं आदिवासी समुदाय के सभी लोग अपनी भाषा को नहीं जानते हैं तो वे भाषा को जाने और सीखे अपने इलाके की बोली भाषा तो आनी ही चाहिये साथ ही जो आदिवासी समुदाय की भाषा गोंडी है वो उन्हें सिखनी चाहिये|