मेरे मटमैले आँगन में फुदक रही गौरैया...कविता-
ग्राम-रक्सा, जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से दिव्या एक कविता सुना रही हैं:
मेरे मटमैले आँगन में फुदक रही गौरैया-
कच्ची मिट्टी की दीवारे घास पात का छाजन-
मैंने अपना नीड़ बनाया, तिनके तिनके चुन चुन-
यहाँ कहां तू आ बैठी हरियाली की रानी-
जी करता है तुझे घूम लूँ ले लूँ मधुर बलैया-
मेरे मटमैले आँगन में फुदक रही गौरैया...