गूंजे गूंजे गूंजे कोयलों की कूके...गीत-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से विरेंद्र गंधर्व एक प्रेरणा गीत सुना रहे हैं :
गूंजे गूंजे गूंजे कोयलों की कूके-
न गूंजे न गूंजे बम और बंदूके-
जीवन के बस तीन निशान रोटी कपड़ा मकान-
कोई न इनसे वंचित हों पुरे हों इनके अरमान-
खेतो में फसले हों कभी न हो वो सूखे-
यही हमारा सपना है यही हमारी अभिलाषा-
ढाई अक्षर प्रेम के हों बोले चाहे कोई भी भाषा...