छत्तीसगढ़ी सुवा गीत : तरी नरी नहा नरी मोर नहा नरी ना ना रे...
ग्राम बाकुलवाही, पंचायत-बाकुलवाही, जिला-नारायणपुर (छत्तीसगढ़) से सुखदाई कचलाम और उनके साथ ग्रामीण महिलाएं कविता सूर्यवंशी, चिंतामणि छत्तीसगढ़ी सुवा गीत सुना रहें है. छत्तीसगढ़ में सुआ गीत प्रमुख लोकप्रिय गीतों में से है। सुआ गीत का अर्थ है सुआ याने मिट्ठु के माध्यम से स्रियां सन्देश भेज रही हैं। सुआ ही है एक पक्षी जो रटी हुई चीज बोलता रहता है। इसीलिए सुआ को स्रियां अपने मन की बात बताती है इस विश्वास के साथ कि वह उनकी व्यथा को उनके प्रिय तक जरुर पहुंचायेगा.
तरी नरी नहा नरी मोर नहा नरी ना ना रे-
पूर्णिमा हो तोर बिना जग अंधियार-
तरी नरी नहा नरी मोर नहा नरी ना ना रे...