जीवन ख़त्म हुआ तो जीने का ढंग आया...कविता-
ग्राम-छुलकारी, पोस्ट-पसला, जिला-अनुपपुर (मध्यप्रदेश) से लल्लू केवट एक कविता सुना रहे हैं:
जीवन ख़त्म हुआ तो जीने का ढंग आया-
जब बुझ गई समा तो महफ़िल में रंग आया-
मन की मशीनरी में जब काम करना सिखा-
तब बूढ़े तन के हर एक पुर्जे में जंग आया-
गाड़ी निकल गई जब घर से चला मुसाफिर-
मयूर हाँथ मलता वापस बेरंग आया-
जीवन ख़त्म हुआ तो जीने का ढंग आया...