चिड़िया की पुकार...कविता-
IIIT नया रायपुर (छत्तीसगढ़) से राजेंद्र कोरेटी एक कविता सुना रहे हैं :
देख रही है बैठी चिड़िया, कैसे अब रह पायेंगे-
काट रहे सब पेड़ों को तो, कैसे भोजन खायेंगे-
नही रही रही हरियाली अब तो, केवल ठूंठ सहारा है-
भूख प्यास में तड़प रहे हम, कोई नही हमारा है-
काट दिये सब पेड़ों को तो, कैसे नीद बनायेंगे-
उजड़ गया है घर भी अपना, बच्चे कहां सुलायेंगे-
छेड़ रहे प्रकृति को मानव, बाद बहुत पछतायेंगे-
तड़प तड़प कर भूख प्यासे, माटी में मिल जायेंगे-
चीं चीं चीं चीं बच्चे रोते, कैसे उसे मनायेंगे-
गर्मी हो या ठंडी साथी, कैसे उसे बचायेंगे...