मानुष तन ला पाईस, लेकिन सब जंगल झाड़ ला उजाड़ दिहिस...कविता-
ग्राम-देवरी, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से कैलास पाया एक कविता सुना रहे हैं :
मानुष तन ला पाईस-
लेकिन सब जंगल झाड़ ला उजाड़ दिहिस-
बरखा पानी झुराय-
आज नगर फार लागत नईया-
साथी जंगल झाड़ ला बचाये-
बरखा पानी ला पाये-
अउ जंगल झाड़ ला काटे...