किसी पर हँसने की वजाय आओ उसे हँसाकर तो देखे...कविता-
सीजीनेट के साथी सोनू गुप्ता एक कविता सुना रहे हैं :
किसी पर हँसने की वजाय आओ उसे हँसाकर तो देखे-
किसी को रुलाने की वजाय, आओ उन आंसुओ को पोछकर भी देखे-
कितना सकून मिलता है, मन का एक फूल खिलता है-
हांथो में हांथ रखकर, कंधे से कंधा मिलाकर-
आओ हम साथ चलें, आओ हम सब एक कहानी बदलें-
अपनी ही हो परेशानिया चाहे कितनी भी चले आंधियां...