झुला रहे, झुला रहे, मोरी मैया के दुई लाल...भजन गीत-
जबलपुर (मध्यप्रदेश) राजकुमार काछी के साथी राम कावडे के साथ एक भजन गीत सुना रहे हैं :
झुला रहे, झुला रहे, मोरी मैया के दुई लाल-
झूला झुला रहे माँ-
कोन बन तोरे झूला डरे हैं-
काहे के तोरे झूला बनो है-
काहे के लागे डोर,झूला झुला रहे माँ-
कजनी बन तोरे झुला डरे हैं-
चंदन के तोरे झूला बनो है, रेशम लगे डोर...