हमारा गाँव- कहानी
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक कहानी सुना रहे हैं|
शहर से दूर बसा सा एक छोटा सा, सुन्दर सा गाँव| गाँव के चारो तरफ खेत घास, चारो तरफ हरयाली ही हरयाली है| गाँव से दूर बहती एक साफ नदी| बजरंगबली का मंदिर गाँव की सुन्दरता का मुख से वरना नही किया जा सकता|
गाँव मै २-४ पक्के मकान, कुछ कच्चे माकन, कुछ जोप्दा,से अचाल अचाल्वित था| गाँव मै छोटा प्राइमरी स्कूल गाँव का सोबा बढ़ा रहा था, जहा केवल ५ क्लास तक की पढाई होती थी| तीन ही शिक्षक थी|
वह पांचू क्लास को पढ़ाते थी, फिर भी अच पढाई होता था| गाँव के बच्चे सुशील थी, शांति से लगन लगा के पढाई करते थी, शिक्षक भी मण लगा के पढ़ाते थे| सही मानो तो वहा सभी सत्य लोग रहते थी, सभी मिलजुल कर रहते थी, एक दुसरे कई मदत करते थी| कोई भी आफत आती थी तो सभी मिल कर मुकाबला करते थी|
एक दिन एक शेहरी गाँव मै आया, उसको देख कर के गाँव वाले उससे मिलने आये|
उसके पास एक कैमरा था और उसने गाँव के मुख्या से बोला कई वो गाँव कई कुछ तस्वीरें लेना चाहता है और उसका फिल्म बने गा जिस कई वाजे से गाँव का नाम रोशन होगा|
गाँव का मुख्या पड़ा लिखा समजदार था, उसने मन्ना नहीं किया|
शेहरी बाबु गाँव के खेत खल्याँ, बाघ बघिचे, नदी तालाब, किसनू के, बच्चू के कई तस्वीरे लिया और चला गया|
उसने वो तस्वीर डायरेक्टर को दिखाया और डायरेक्टर का मण आया और वो अपने सात हीरो हेरोइन को लेके आया| उसने गाँव मै आके फिल्म बनाया, और फिल्म रिलीज़ हुआ| फिल्म बहुत चला और गाँव का नाम रोशन हुआ|