उड़े अबीर उड़े गुलाल, हर चहेरा दिखे लाल...कविता-
कानपुर (उत्तर प्रदेश) से के एम भाई होली त्योहार पर एक कविता सुना रहे हैं :
उड़े अबीर उड़े गुलाल-
हर चहेरा दिखे लाल-
होली का कुछ ऐसा हो घुमान-
कि ख़ुशी के रंग में-
रंग जाए हर इंसान-
इस होली कुछ ऐसा हो यार-
कि ढोल की एक ताल पे...