जिंदगी की इल्तजा दूर चमक बनकर रह गई...पंक्ति-
जबलपुर (मध्यप्रदेश) से प्रदीप एक पंक्ति सुना रहे हैं :
जिंदगी की इल्तजा दूर चमक बनकर रह गई-
फूल तो सभी मुरझा गये-
जिंदगी उनकी मृत बनकर रह गई-
जिंदगी की इल्तजा दूर चमक बनकर रह गई...
जबलपुर (मध्यप्रदेश) से प्रदीप एक पंक्ति सुना रहे हैं :
जिंदगी की इल्तजा दूर चमक बनकर रह गई-
फूल तो सभी मुरझा गये-
जिंदगी उनकी मृत बनकर रह गई-
जिंदगी की इल्तजा दूर चमक बनकर रह गई...