मैना पडकी बारी धरी कबुत्तर छानी उप्पर...छत्तीसगढ़ी कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैया लाल पडियारी छत्तीसगढ़ी भाषा में एक कविता सुना रहे हैं :
मैना पडकी बारी धरी कबुत्तर छानी उप्पर-
जंगल मा मोर नाचे दिखे अडबड सुग्घर-
कौआ करे काँव-काँव कोयल कुहके कूहु-कूहु-
तीतुर खोजे आपन छाँव देख तो गा दाऊ बडकु-
सुआ हर पिंजडा में डोला थे मिट्ठू-मिट्ठू दे थय पतूरु-
बड़े भौजी बोला थे कुकरी ला बड़े भौजी कहथे कुरु-कुरु...