हमारे गाँव का नाम ताडवैली कैसे पड़ा: एक गाँव की कहानी ( गोंडी भाषा में )
सीजीनेट जन पत्रकारिता जागरूकता यात्रा आज ग्राम पंचायत-ताडवैली, ब्लॉक-कोयलीबेडा, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) में पहुँची है वहां मोहन यादव की मुलाक़ात गाँव के बुज़ुर्ग कन्ना राम वड्डे से हुई है जो उन्हें गोंडी भाषा में उनके ताडवैली गाँव के नाम की कहानी बता रहे हैं कि उनके गाँव का यह नाम कैसे पड़ा: वे बता रहे हैं ये गाँव राजा समय का गाव है परालकोट परगना में एक राजा रहते थे- राजा की मदद से यहाँ पर बड़ा सा तालाब बना जिसे गोंडी में तड़ाई
कहते हैं फिर उसके बाद इसलिए इस गाँव का नाम ताडवैली पड़ा- इसी प्रकार यहां के पेड़ पौधो- व्यक्ति या जानवर आदि पर गाँवों के नाम रखे गए हैं जिनके बारे में गाँव के बुज़ुर्ग ही जानते हैं