झिमिर-झिमिर पीर वाईता,ढोड़ा उषा वाता...गोंडी गीत-
ग्राम-लामता, जिला-बालाघाट (मध्यप्रदेश) से ब्रजलाल टेकाम एक पारम्परिक गोंडी लोकगीत सुना रहे हैं. इस गीत गीत में जीजा अपनी शाली से हंसी-ठिठोली करते हुए गाने में कुछ कहना चाह रही है:
झिमिर-झिमिर पीर वाईता,ढोड़ा उषा वाता-
अन सांगो घुस्सूर बैसी, बोट्टे देहकी लाता-
नावा मामा ना टूरी वो, केंजा नवा गोंडी पाटा-
पुपुल दाड़ी, पुपुल दाड़ी, व्ईयो हिल्ले बाड़ी-
अनि अन सांगो, जल्दी-जल्दी छूटे मायल गाड़ी-
कनकी ता गाटो, चिरोटा ता भाजी-
अनि आलू भट्टा परो, सांगो-अरसिता गाजी-
ठेका ते ठेका अनि, तोड़ी ता ठेका-
ना संग दे ऐन्दिकी ते, पैसा नना सेका-
नावा मामा ना टूरी वो...
ब्रजलाल टेकाम@9685526118.