जब से गोटुल बंद हुआ है तब से हमारा समाज पिछड़ गया है... (गोंडी भाषा में)
उत्तम आतला के साथ में जुड़े है, रमेश कोरचा जो तहसील-कुर्खेडा, जिला-गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) से है वे गोंडी भाषा के गीत संगीत और रीति रिवाज के बारे में जानकारी दे रहे है, वे बता रहे है कि हमारे गोंडी गीतों का बहुत पुराना इतिहास है | लेकिन आज की युवा पीडी फ़िल्मी गीतों की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे है| उससे लोग गलत रास्ते की तरफ बढ़ रहे है | पहले गोटुल हमारी शिक्षा का बहुत अच्छा माध्यम था उसमे लोग अपने विचारो का अदान प्रदान करते थे | एक सम्पूर्ण न्याय पद्धति थी उससे हमारी गाँव की रक्षा भी होती थी | लोग रात के 12-1 बजे तक गोटुल में खेलते रहते थे उससे गाँव की देखभाल होती थी | जब से गोटुल बंद हुआ है तब से हमारा समाज पिछड़ गया है | आज की नई पीडी में माँ बाप भाई बहन कोई रिश्ते को नहीं मानते है|