जिस समाज की भाषा ख़त्म हो गई हो वो समाज धीरे धीरे ख़त्म हो जाता है... (गोंडी भाषा में)
उत्तम आतला के साथ आज जुड़े है रानेश कोरचा जो कि तहसील-कुरखेड़ा, जिला-गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) से है वे गोंडी भाषा के सबंध में बात कर रहे है गोंडी भाषा जीवित रहना जरुरी है क्योंकि जिस समाज की भाषा जिन्दा रहता है वो समाज जिंदा रहता है जिस समाज का भाषा ख़त्म हो गया हो वो समाज ख़त्म! शासन प्रशासन ने गोंडी भाषा को खत्म करने का षड्यंत्र बना रही है! जीवित रखने के लिए जैसे स्कूलो में मराठी, हिंदी के साथ साथ एक विषय होना चाहिए आदिवासी विभाग द्वारा चलाये जा रहे आश्रम स्चूलो में गोंडी भाषा में पढाई होनी चाहिए| भर्ती प्रक्रिया में गोंडी भाषिक लोगो को प्रथम स्थान होनी चाहिए |