घने-घने वन कितने हैं, पर्वत कितने विशाल...कविता-
ग्राम-देवरी, पोस्ट+थाना-चंदोरा, तहसील+ब्लाक-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से कैलाश पोया एक कविता सुना रहे है:
घने-घने वन कितने हैं, पर्वत कितने विशाल-
बड़ी बड़ी यहां नदिया है, बड़ी-बड़ी यहां का खदान-
यह अपने हैं, न बन जओं धनवान-
विध्याचल पर्वत माला सतपुड़ा है, सीना तान-
नर्मदा की बहती धारा गोद वर्धा के गाने-
संपदा अपनी है यही हमारी शान...