अभी तो चलना है क्योंकि सफ़र दूर तक है...कविता
ग्राम पंचायत-पढ्गी, तहसील-सिरमौर, जिला-रीवा (मध्यप्रदेश) से रमेश प्रसाद यादव एक कविता सुना रहे है:
अभी तो चलना है क्योंकि सफ़र दूर तक है-
मंजिल का तो पता नहीं पर नज़र दूर तक है-
कल कुछ पल के लिए जो गुफ्तगू हुई उनसे-
कोई भले ही न जाने पर ये खबर दूर तक है-
मत छुआ कर किसी भी अनजान आदमी को-
आज हर इंसान के बितर जहर दूर तक है-
हर रोज एक कटी पतंग मेरी छत पर आती है-
इशारा उसका भी यही है की शहर दूर तक है-
रुख मोड़ लिया है प्रेम ने,इर्ष्या के बहाव में-
नफरत से भरी नदी की लहर अब दूर तक है-
सुरीली आवाज से कोयल अब न गाएगी गीत-
कौओ का भी उससे सियासी कहर दूर तक है-