गोंडो में वधु को कुल वधु माना जाता है, पति के देहांत के पश्चात् भी वह विधवा नही होती है...
ग्राम-ताराडांड, जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से बाबूलाल नेटी गोंडी विवाह और उनके नियमो के बारे में बता रहे हैं- 1.गोंडो में सम-सम सगाओ और सम-सम गोत्र न हो और सम कुल चिन्ह धारको में विवाह वर्जित है| 2.गोंडी विवाह भुमका बैगा द्वारा कराये जाते हैं| 3.गोंडी में नारी को एक शक्ति रूप में माना जाता है इसलिए कन्या के लिए वर की तलाश नही की जाती है, बल्कि वर वधु दोनों की तलाश की जाती है| 4.गोंडो में दहेज की प्रथा नही है 5. गोंडो में वधु को कुल वधु माना जाता है पति के देहांत के पश्चात् भी वह विधवा नही होती है, बल्कि पति के कुल की वधु वह हमेशा बनी रहती है यदि उसका देवर है तो उससे चोली या चूड़ी पहन सकती है| 6.गोंडो में विवाह हेतु वधु पक्ष वर पक्ष के घर बारात लेकर जाते हैं| 7.गोंडो में सिंदूर लगाना, दहेज लेना तथा बाल विवाह का रिवाज नही है. 8.गोंडो में अपने लड़के के मामा की लड़की में से शादी कर सकते हैं| 9. बहु पत्री विवाह. 10.गोंडो में नारी को व्यक्तित्व विकास का अवसर प्राप्त होता है. 11.गोंडो में विवाह के फेरे दाएं से बाएं करते हैं, शव को दफनाने की प्रथा है| 12. गोंडो में तीन दिन में मृतक परिवार तिहरी कर घर का काम कर सकते हैं, पूजन के लिए पेड़ चबूतरा आदि होता है, जन्म संस्कार स्वयं परिवार के लोग करते हैं, देवी, जवारा, अका पूजा, विविदरी पूजा, हरेली आदि उनके त्यौहार है| बाबूलाल नेटी@7582847617.