कब तक भरोसा करत रही हो...पर्यावरण पर कविता
भगतपारा, पंचायत-धुमाढांड, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से रूपलाल मरावी पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में एक कविता सुना रहे है:
कब तक भरोसा करत रही हो-
शासन के सुरक्षा और नियम पर-
आज जल जंगल जमीन ख़तम होत जात हे-
और पेड़ पौधा कटत जात हे-
नदिया नरवा सुखत जात हे-
सुना रे जंगल के आदिवासी साथी मन-
कब तक भरोसा करत रही हो...