आज धरती माँ अपने तक़दीर पर रो रही है...कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे हैं:
आज धरती माँ अपने तक़दीर पर रो रही है-
जिन्हें खोया उन्हें खोज रही है-
काला बाजारी मक्कारी भी शरमा रही है-
आँखों ही आँखों में आंसू बहा रही है-
हैवानियत को सीमा पार हो गई है-
अस्मत के लुटेरो का बाजार हो गई-
आज धरती माँ अपने तक़दीर पर रो रही है...