नहा कर गंगा में सब पाप धो आया, वही से धोए पापो का पानी भर लाया...कविता
ग्राम-सिन्धुरखार, तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से उदय माणिकपुरी
एक कविता सुना रहे है:
रोटी से विचित्र कुछ भी नही-
इन्सान कमाने के लिए भी दौड़ता है, और पचाने के लिए भी दौड़ता है-
नहा कर गंगा में सब पाप धो आया, वही से धोए पापो का पानी भर लाया-
वाह रे इन्सान, तरीका तेरा समझ न आया-
पाप हमारे सोच से होता है दोस्तों, शरीर से नही-
तीर्थो का जल हमारे शरीर को साफ़ करता है, हमारी सोच को नही...