लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...कविता
ग्राम-रक्शा, तह्सील-अनुपपुर, जिला-अनुपपुर (मध्यप्रदेश) से बिजय मिश्रा हरिवंशराय बच्चन की एक कविता सुना रहे है:
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती-
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती-
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है-
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है-
मन का विश्वाश रगों मे साहस भरता है-
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है-
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती-
डुबकियां सिन्धु मे गोताखोर लगाता है-
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है-
मिलते नहीं सहज ही मोंती गहरे पानी में-
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में-
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती-
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो-
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो-
जब तक ना सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम-
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम-
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती-
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...