देख तो गा संगी चिराई हर, कइसन करत है आवा जाही...छत्तीसगढ़ी कविता
तमनार, जिला-रायगढ़, (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ीयारी एक गीत सुना रहे है:
देख तो गा संगी चिराई हर, कइसन करत है आवा जाही-
घारा बनाथ है डारा मा, ओला वह कइसन भुलाई संगी-
नान्नचुन, नान्नचुन लईका हवे, ओमन ला पानी चारा खवाई-
माई ला देखते पीला मन घलो, अपन जेना ला हालात है-
माई घलो पीला के खातिर, अपन बैना ला फैलात है-
अपन बैना ला फ़ैला के संगी, पन मया प्रीत ला जतात है-
देख तो गा संगी चिराई हर, कइसन करत है आवा जाही...