बेटी के लगन हो गए संगवारी...छत्तीसगढ़ी कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं:
बेटी के लगन हो गए संगवारी-
सगा आके न्योता खा गए संगवारी-
सगा समधी ला न्योता दे-
आबो बेटी बहिनी ला बलाबो संगावारी-
आस पड़ोस हीत-प्रीत-
मीत-मितान जम्मो ला बलवाबो संगवारी-
आनी-बानी के बाजा बजवाबो-
संगवारी तेल चढ़ाबो हरदी मा खाबो-
देवी देवता ला मनवाबो-
सास सुआसिन तेल हल्दी चढ़ाहीं-
गाहीं बिहाव गीत संगीत-
गाहीं नाचहीं करहीं ठिठोली-
आही दुल्हा लेके बरात गाँठ जोड़ही-
भांवर परही बाम्हन दीही सौगात-
सारा मुटका मारही बहिनी खातिर-
लेही धोती कुर्ता ताली बजात-
आनी बानी दहेज़ डोला-
देके करबो बेटी के विदाई-
अपन माया प्रीत ला छाडके-
कहथों बेटी जाही सुन मामा दाई...